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माता पिता और बच्चे का सम्बन्ध | Hindi Article

Hindi Article on relation of child and mother father

हम सभी चाहते हैं कि हम अपने बच्चों के लिए सबसे अच्छे माता-पिता बन सकें लेकिन अक्सर इस बात पर विरोधाभासी सलाह दी जाती है कि एक बच्चे को कैसे तैयार किया जाए जो आत्मविश्वाशी, दयालु और सफल हो।पेरेंटिंग के दौरान, ये जरुरी है कि प्राथमिकताओं को संतुलित करने, जिम्मेदारियों को निभाने, अपने बच्चों, परिवार के अन्य सदस्यों और अपने आप की जरूरतों के बीच जल्दी से स्विच करने पर फोकस किया जाए ।क्योंकि यह जानना कठिन है कि किस व्यक्ति पर या उसकी किस बात पर भरोसा किया जाए। किसी बाहरी पर हम या आप भरोसा नहीं कर सकतेयहां, हम इस बारे में बात करेंगे कि कैसे इस प्रक्रिया में खुद को खोए बिना अपने बच्चे को बड़ा होने में मदद करें।

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माता पिता और बच्चे का सम्बन्ध कैसा होना चाहिए?


आज‍‍ इस बात को समझना बहुत जरूरी है की बच्चे और माता-पिता के बीच रिलेशनशिप कैसा होना चाहिये? अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते है, तो नीचे बताए गए कुछ टिप्स आपके काफी काम आएंगे -


हेल्दी रिलेशनशिप से बनेगी बच्चे की हेल्थ


आजकल कॉम्पिटिशन इतना बढ़ गया है कि हर माता-पिता अपने बच्चे को बेस्ट देने की कोशिश करते हैं। बच्चा अच्छे से पढ़-लिख जाये, इसलिए सबसे अच्छे स्कूल में भेजने की कोशिश करते हैं। वह यह उम्मीद करते हैं कि बच्चा स्कूल से ज्ञान के साथ-साथ अच्छा व्यव्हार भी सीखेगा। लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च की माने, तो बच्चे का अच्छी तरह से पालन-पोषण, उसे अच्छे स्कूल में भेजने से ज़्यादा ज़रूरी है। आमतौर पर सभी स्कूल एक जैसे होते हैं और अपने हर छात्र पर बराबर ध्यान देते हैं। लेकिन जिन बच्चों के माता-पिता उनका होमवर्क करने में मदद करते हैं, पढ़ाई की अहमियत समझते हैं और बच्चे के सभी स्कूल ईवेंट्स अटेंड करते हैं, उनके बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

‍‍‍अच्छा पेरेंट-चाइल्ड रिलेशनशिप है ज़रूरी 


बच्चे और उसके पेरेंट के बीच का रिश्ता सबसे अच्छा और ज़रूरी बंधन होता है। यह रिश्ता बच्चे की पर्सनेलिटी, उसके व्यवहार और पसंद की नींव डालता है। यही से उसका शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का विकास होता है। 

अगर बच्चे का माता-पिता के साथ रिश्ता अच्छा हो तो, उसके कई फायदे होते हैं। जैसे-


  • जीवन में दूसरे लोगों से भी अच्छा रिश्ता बनना।
  • मुश्किल परिस्थिति में अपनी भावनाओं पर काबू रखना।
  • बच्चे के मानसिक, भावनात्मक और भाषा का विकास होना।
  • बच्चे का आशावादी और आत्मविश्वास से पूर्ण होना।
  • बेहतर सोशल और अकैडमिक स्किल्स होना।



आप चाहे कितने भी बिज़ी हो, लेकिन अपने बच्चे के लिए समय ज़रूर निकालें। जैसे-जैसे आपके बच्चे की उम्र बढ़े तो, आप अपने पेरेंटिंग स्टाइल को भी बदल दें। बच्चे की उम्र कुछ भी हो, उससे हमेशा प्यार से बात करें और गर्मजोशी दिखाएं। उनको बातों-बातों में प्यार से यह समझाये कि आप उनसे क्या उम्मीद रखते हैं और उन्हें आगे का रास्ता दिखाये। बच्चा जो कुछ भी कहें, उसे ध्यान से सुनें और उसके प्रति हर परिस्थिति में हमदर्दी दिखाये। कोई भी समस्या हो, उसे हल करने में उसकी मदद करें। जब आप अपने बच्चे के साथ कोई भी समस्या को हल करेंगे, तो वह आपको देखकर सीखेगा कि किसी भी मुश्किल हालात में कैसा व्यवहार करना चाहिए।


अपने बच्चे की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर आप उसके करीब आ सकते हैं और उसके जीवन का सबसे अच्छा दोस्त बन सकते हैं।

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