एक ऐसा नौकरशाह जो टकराता रहा व्यवस्था से | जो झेल चुका है अब तक 52 तबादले | जो निडरता से अपनी बात कहने से नहीं घबराये | जी हाँ हम बात कर रहे हैं कोलकाता में जन्मे और पले-बढ़े अशोक खेमका की |
खेमका का नाम सन 2012 में तब चर्चा में आया था, जब उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे को रद्द किया था | तब भाजपा ने इस मामले को विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक मुद्दा बनाया |
खेमका की छवि व्यवस्था से टकराते रहने वाले नौकरशाह की रही है| उनके फैसले विपक्षी दलों को पसंद आते हैं, लेकिन वह सत्ता पक्ष को कभी रास नहीं आए | बंसीलाल से लेकर मनोहर लाल तक, हर सरकार में खेमका व्यवस्था से टकराते रहे | बताया जाता है कि खेमका का मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा उनके तीन मंत्रियों से भी टकराव हो चुका है | भजनलाल से लेकर ओम प्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकारों में भी उनके एक के बाद एक तबादले होते रहे | खेमका के अब तक 52 तबादले हो चुके हैं |
वरिष्ठ आईएएस खेमका की एसीआर में नकारात्मक टिप्पणी और मुख्यमंत्री खट्टर के अंक कम करने को रद्द करते हुए कहा था कि राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक प्रणाली में ऐसी व्यावसायिक ईमानदारी को संरक्षित करने की जरूरत है. तब स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने खेमका को 9.92 अंक दिए थे, जिन्हें बगैर कोई कारण बताए मुख्य सचिव ने 8.22 कर दिया था | चुनाव से पहले भी खट्टर सरकार ने नौ आईएएस अधिकारियों का तबादला किया था, जिसमें खेमका भी शामिल थे |
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