कुछ समय पहले हमने एक वीडियो में रामायण के गायकों के बारे में बताया था। उस वीडियो के कमेंट में हमें बहुत से भजनो के लिए पूछा गया की ये गीत किसने गाये हैं। इस वीडियो में हम उन्ही भजनो के बारे में बताएँगे की उन भजनो को किन गायकों ने गाया था। नमस्कार स्वागत है आप सब का लेखक की लेखनी में। लेखक की लेखनी चैनल आप तक इतने बेहतरीन वीडियो पहुंचाता है। इसके लिए लाइक, सब्सक्राइब और फॉलो तो बनता है। ये जानकारी बहुत मेहनत के बाद तैयार की है। किसी प्रकार की कोई गलती लगे तो जरूर बताएं।
सबसे पहले बात करते हैं रामायण के शीर्षक गीत सीता राम चरित अति पावन की। इस गीत को स्वरबद्ध किया था आनंद कुमार जी और देवकी पंडित जी ने और कंपोज़ किया था स्वर्गीय श्री जयदेव जी ने। इसके बाद के सभी गीत रविंद्र जैन जी ने लिखे और कंपोज़ किये थे।
दूसरे नंबर पर बात बात करते हैं यही रात अंतिम यही रात भारी गीत की। इस गीत को स्वर दिए थे श्री रविंद्र जैन जी, सुशील कुमार शील जी, हेमलता जी और दिलराज कौर जी ने।
अब बात करते हैं गीत राम नाम आधार जिन्हे वो जल में राह बनाते हैं की। इस गीत को गाया था स्वर्गीय श्री रविंद्र जैन जी और उनके साथियों ने।
चौथे नंबर पर बात करते हैं गीत सीता राम दरस रस बरसे की। इस गीत को गाया था स्वर्गीय श्री रविंद्र जैन जी और के जे येसुदास जी ने। ये गीत अनमोल गीत है रामायण का।
गीत राम दरबार है जग सारा में स्वर दिए थे स्वर्गीय श्री रविंद्र जैन जी, परमजीत नायडू जी, सुशील कुमार शील जी, हेमलता जी, और दिलराज कौर जी ने।
गीत रस्ता देखत शबरी की उमर गयी सारी को स्वर दिया था अनुराधा पौडवाल जी ने। अनुराधा जी का ये अकेला गीत है जो रामायण में था।
सातवें नंबर पर बात करते हैं विरह व्यथा से व्यथित द्रवित हो वन वन भटके राम गीत की तो इस गीत को स्वर दिया था हरदिल अजीज मोहम्मद अजीज जी ने। ये गीत बहुत ही दर्दभरा गीत है।
अब बाते करते हैं राम जी की सेना चली गीत की तो यह गीत दो जगह आया है एक बार जब किष्किंधा से सेना समुद्र की ओर चलती है तब और दूसरी बार जब सेना सेतु पार करती है। जहाँ पहले गीत में स्वर्गीय श्री महेंद्र कपूर जी ने स्वर दिया है तो वहीँ दूसरे गीत में सतीश देहरा जी और कुमार सानू जी ने स्वर दिए हैं।
नौवें नंबर पर बात करते हैं जागिये रघुनाथ नाथ गीत की। इस गीत को स्वर दिया था के जे येसुदास जी ने।
दसवें नंबर में बात करते हैं सिय के संकल्प के आगे रघुकुल का राजा हारा गीत की। इस गीत को स्वर दिए थे मखमली आवाज के जादूगर सुरेश वाडकर जी ने।
ग्यारवें नंबर पर बात करते हैं राम सिया युग युग के साथी गीत की। इस गीत को स्वर दिया था स्वर्गीय श्री रविंद्र जैन जी ने।
आखिर में बात करते हैं महलों के अधिकारी वन में पलते हैं गीत की। इस गीत को स्वर दिया था स्वर्गीय श्री महेंद्र कपूर जी ने।
आपसे विनम्र निवेदन है एक वीडियो में सभी भजनो या गीतों के बारे में बता पाना आसान नहीं होता। इसलिए शेष भजन के बारे में आने वाले वीडियो में बताएँगे। आपको किसी गायक या गीतों के बारे में जानकारी साझा करनी हो या आपको और गीतों के बारे में जानना हो तो कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। रामायण के गीतों से जुड़े पुराने वीडियो और आने वाले वीडियो का लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा। वहां क्लिक कर आप वो वीडियो भी देखें। अगली वीडियो में नयी जानकारी के साथ फिर प्रस्तुत होंगे तब तक के लिए नमस्कार।
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