दिल की आवाज़... - फरहा दीबा (Hindi Article)
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मई 20, 2021
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सुबह होती है शाम होती है। ऊम्र यूँ ही तमाम होती है। आस क्या अब उम्मीद-ए-नाउम्मीद भी नहीं। कौन दे मुझ को तस्सली कौन बहलाए मुझे। मुंशी अमी...
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