कोहरे से ढकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह-सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
बच्चे काम पर क्यों जा रहे ?
क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों को ने खा लिया है
सारी रंग-बिरंगी किताबों को
बचपन, मनुष्य के जीवन का सबसे हसीन पल होता है। बस हर वक्त अपनी मस्तियों में खोए रहना, खेलना-कूदना और पढ़ना। लेकिन सभी बच्चों का बचपन ऐसा नहीं होता। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 152 मिलियन बच्चे बाल श्रम करने के लिए मजबूर हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 43 लाख से अधिक बच्चें बाल मजदूरी करते हैं।गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 5 करोड़ बाल मजदूर है। यूनिसेफ के अनुसार दुनिया भर के कुल बाल मजदूरों में 12% की हिस्सेदारी अकेले भारत की है। (स्रोत-www.dheyaias.com) यह विडंबना ही है कि देश की आजादी के इतने वर्षों बाद भी बाल मजदूरी कलंक बना हुआ है।
भारत की जनगणना 2001 कार्यालय ; क्षतिपूर्ति ,मजदूरी या लाभ के साथ या उसके बिना किसी भी आर्थिक उत्पादक गतिविधि में 17 वर्ष से कम उम्र के बच्चें की भागीदारी ,मानसिक या शारीरिक रूप से, के रूप में बाल श्रम को परिभाषित करता है।
आज बड़े-बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी हर गली- नुक्कड़ पर आपको कई छोटू -राजू- मुन्नी मिल जाएंगे जो हालातों के चलते बाल मजदूरी की गिरफ्त में आ चुके है।इन बच्चों का समय स्कूलों में कॉपी, किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलों, घरों में झाड़ू-पोंछे, उद्योगों में औजारों के बीच बीतता है।
बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी है।गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी में ढकेल देते हैं।देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं। कुछ माफिया उन बच्चों को डरा-धमका कर भीख मांगने और मजदूरी करने भेज देते हैं। भ्रष्टाचार भी बाल श्रम को बढ़ावा देता है।बड़े-बड़े होटलों, ढाबों और कारखानों पर उनके मालिक बिना किसी भय के बच्चों को मजदूरी पर रख लेते हैं।उन्हें पता होता है कि अगर पकड़े भी गए तो वे घूस देकर छूट जाएंगे।
बाल श्रम के कारण बच्चों का मानसिक ,शारीरिक,आत्मिक, बौध्दिक एवं सामाजिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।काफी सारे बच्चें कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।बाल मजदूरी के कारण बच्चें अशिक्षित रह जाते हैं।
बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा 2002 में ' विश्व बाल श्रम निषेध दिवस' की शुरुआत की गई।यह प्रतिवर्ष 12 जून को मनाया जाता है।
भारतीय संविधान में भी कई प्रावधान बनाए गए हैं। अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को कारखानों, खदानों या अन्य जोखिम भरे कामों पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 21-क : 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 45: 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करना राज्य का कर्तव्य होगा।
अनुच्छेद 51-क : माता-पिता या संरक्षक 6 से 14 वर्ष तक की आयु वाले अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करेेंगे। सरकार द्वारा कई अधिनियम पारित किए गए हैं ।कारखाना अधिनियम,1948 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों में काम करने से रोकता है। बाल श्रम (निषेध व नियमन)कानून, 1986 14 साल से कम आयु के बच्चों से जोखिम वाले व्यवसायों में काम करानेेे पर रोक लगाता है। कानूनों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान भी किया गया है।2016 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया। निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।
सरकार ने बाल मजदूरी के खिलाफ कानून तो बना दिए।इसे अपराध घोषित कर दिया लेकिन क्या इन बच्चों की कभी गंभीरता से सुध ली ? खैर, लें भी क्यूं क्योंकि बच्चे तो वोट नहीं देते। क्या वास्तव में ये कानून कारगर सिद्ध हो पाए हैं ? क्या मात्र कानूनों को बना देना पर्याप्त है ? नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 7 से 8 करोड़ बच्चे अनिवार्य शिक्षा से वंचित हैं। क्या "14 वर्ष तक के बच्चों की अनिवार्य शिक्षा का कानून" बेमानी है ??
बाल मजदूरी को जड़ से समाप्त करने के लिए कानूनी प्रावधानों का बेहतर क्रियान्वयन आवश्यक है। गरीबी को खत्म करना भी महत्वपूर्ण है।पंचायती राज संस्थाओं जैसे स्थानीय शासन निकायों को अपने अधिकार क्षेत्र में बाल मजदूरी की रोकथाम के साथ-साथ पूर्व बाल श्रमिकों के पुनर्वास के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। माता-पिताओं को उचित परामर्श देना निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कदम है।जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। सभी लोगों को कानूनों का पालन करना चाहिए।
बाल श्रम पूर्ण रूप से गैरकानूनी है व मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। हम सब भी आज संकल्प लें बाल मजदूरी को जड़ से मिटाने का तथा देश के सभी बच्चों को शिक्षित करने का। "बच्चें हमारे देश का भविष्य है।"
12वी की पुस्तक में एक पाठ है
जवाब देंहटाएंLost spring: stories of stolen childhood!!
ये याद दिलाता है कि नेताओ की आत्मा, आत्मचेतना, इंसानियत सब सो चुकी है
Great work 👍
जवाब देंहटाएंNice article
जवाब देंहटाएंVery informative article.
जवाब देंहटाएंgood nyc work
जवाब देंहटाएंgood nyc work
जवाब देंहटाएंwell done
जवाब देंहटाएंअति उत्तम 🙏
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