प्रेम के अनेक रूप हैं। उन में सबसे श्रेष्ठ देश प्रेम है। वो भूमि जहॉ हमारा जन्म होता है। जिसकी गोद में पलकर हम बड़े होते हैं। जिसके पानी हवा अन्न जल का उपभोग कर हम शक्तिशाली बनते हैं। जब भगवान राम का वनवास हुआ तब उनके मुख पर विषाद या चिंता की लकीरें तनिक भी नही थी। किन्तु अपनी जन्मभूमि से दूर जाने के पश्चात वे विचलित हो गये। वहॉ उन्होने कहा ‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी‘। अर्थात जननी और जन्मभूमि की महिमा स्वर्ग से भी महान है। अपनी जन्मभूमि से प्रेम होना स्वाभाविक और पावन है। इसका अहसास तब होता है जब हम इससे दूर हों या जन्मभूमि पर कोई संकट आ जाये। प्रेम यदि हमे अधिकार देता है तो उसके प्रति कर्तव्य पालन भी जुड़ा होता है।
इसी प्रेम से प्रेरित होकर देश प्रेमी अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं। हमारे देश का इतिहास ऐसे देशभक्तों की वीर गाथाओं से भरा हुआ है। जिन्होने देश प्रेम के खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। जिनका वर्णन करना इतना सरल नही है। छत्रसाल, महाराजा रंजीत सिंह, महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरू गोबिंद सिंह जैसे देश प्रेमियों पर गर्व है। अंगेजों की बेडि़यों में जकड़ा भारत और उसको तोड़कर उन बेडि़यों से मुक्त कराने में राजा राम मोहन राय, लोकमान्य, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, महात्मा गॉधी, सरदार पटेल, भगत सिंह जैसे अगणित वीर देशभक्तों ने लाठियों के प्रहार सहे, जेलों में सड़े, हंसते-हंसते फॉसी के फंदे पर झूल गये। देश प्रेमी अपने देश को किसी भी तरीके से निर्बल नही होने देते हैं। कुछ लोग ऐसे कार्यों में लिप्त रहते हैं जिसमे देश के स्वाभिमान को ठेस पहुॅचती है। जिससे देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। ऐसे व्यक्ति मनुष्य नही जानवर होते हैं जो मरे हुए के समान हैं।
___________________________________________________________________________________
यदि आप को हमारे आर्टिकल अच्छे लगते हैं तो आप इसे लाईक और शेयर जरूर करें इससे हमारा मनोबल बढ़ेगा। ताकि हम आपके लिए और भी अच्छे आर्टिकल उपलब्ध करा सकें। और हॉ यदि आप की भी लेखन में रूचि है तो आप हमे अपने आर्टिकल्स भेेज सकते है हमारे ई-मेल gzb24x7@gmail.com पर।
__________________________________
लेखक - केशव कुमार पांडेय
फेसबुक प्रोफाइल - https://www.facebook.com/iamkeshav90
मोबाइल - उपलब्ध नहीं
पूरा प्रोफाइल - उपलब्ध नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें